समेटा रिश्तों को मुठ्ठी में जो,
फिसलते रेत सम बन धारा।
गिर कर उठना, उठ कर फिर…
क्यूँ गिरता, फिर हारा?
क्यूँ मैं हर बार हारा?
क्यूँ मैं बार बार हारा?