मैंने भी जलाये थे दिये
ये सोच कर —
रौशन कर दूँगा पथ
वैतर्णी तक।

109 आत्माओं का
रास्ता सुगम कर
इस लोक से परलोक तक।।

क्या पता था
मुझे शोक नहीं
जश्न मनाना था।
समर गीत नहीं
डिस्को बजाना था।।

मैंने भी जलाये थे दिये…