क्या मसला था बुरास को होंठो पर?
क्या मसला था बुरास को होंठो पर? क्या निचोड़ा था बादलों को गालों पर? सिलता काजल, खिलता सिंदूर झंझरी ओढ़नी से छनता नूर काफल सी दंत-कथाएँ बाँचती रात रती की व्यथाएँ। आ चलें उन बादलों पे एक बार फ़िर। चाँदनी में नहाने को एक बार...
Bollywood biggest market for nepotism?
When the debate around nepotism is hot, I too would like to add my 2 pence worth. Nepotism is deeply ingrained in each one of us. It’s in the structure how our society has been built up. It springs from the caste system, where businesses...
ए कुंभकर्ण!
ए कुंभकर्ण चल उठ। आँखे खोल देख उधर श्मशान मैदान में कुम्भ मेला लगा है! मेले में कोरोना आया है। कफ़न अर्थी खेल खिलौने लाया है! ए कुंभकर्ण चल उठ कुम्भ मेला लगा है!
फ़कीर है वो?
बढ़ी दाड़ी, उजड़े बाल एक फ़कीर है वो कोई राजा नहीं चल बैठा है झोला उठाकर।। जलते मास की सुगंध है हवाओं में। आज श्मशान रौशन है चिताओं की कमी नहीं।। फ़कीर नहीं, साधक है वो चला है वो शव-साधना को। छप्पन इंच की छाती...
Dear tourists, Himachal is not your garbage bin
Dear tourists visiting Shimla and other parts of Himachal, There is resentment among the local folks against you. Except the tourism and the transport industry, few people want you in the state. Why has the Atithi Devo Bhava sentiment changed? Probably, because, you don’t behave...
कोई जा कर कह दो बीबी से मेरी
कोई जा कर कह दो बीबी से मेरी, रज़ाई में कुछ उल्टा सीधा नहीं होता। चंदे की छपाई, गिलाफ़ की रंगाई, वो दोनों तरफ़ से बराबर गर्म होती है।। वो दोनों तरफ़ से बराबर पानी सोखता है, बराबर तन ढकता है। तौलिये के सीवन में,...
Yoga Day: Why this antagonism
So I read this article on HT: “Five reasons why I didn’t participate in the Yoga Day celebrations“. This cacophony reminds me of a line I read in some book long time back. The book may not that be great, but the line certainly is....
विश्व गुरु
विश्व गुरु का स्वप्न संजोए पक्षीराज बन बैठा है। विष्णु वाहन बनते बनते शव वाहन बन ऐंठा है।। क्या कहा? मानव शव? कद्रु पुत्र का खेला पात्र। चुन चुन कर मुक्त किया पक्षीराज पुराण पढ़ो मात्र।।
क्या जय हनुमान बोलने से कोरोना भाग जाएगा?
पिछले कई दिनों से इंटरनेट पे एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ औरतें एक कोविड मरीज़ का ऑक्सीजन मास्क हटा कर, उस तड़पते हुए मरीज़ के हाथ-पाँव पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से “जय हनुमान” पढ़ रही हैं। वे डॉक्टर की हिदायत की भी अवहेलना कर...
लूण-लोटा वाली घटिया राजनीति
विश्वास नहीं होता कि आज का पढ़ा लिखा नवयुवक, बीसवीं शताब्दी की कुंठित, दबाव वाली – “लूण-लोटा” वाली घटिया राजनीति खेलते हैं। ऐसी राजनीति से बचें। ये राजनीति, भारत के संविधान द्वारा दिए गए मेरे “गुप्त मतदान” के अधिकार के खिलाफ़ है। मुझे दुःख होता...
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