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Author: Dhaleta Surender Kumar

कविता

क्या मसला था बुरास को होंठो पर? 

क्या मसला था बुरास को होंठो पर? क्या निचोड़ा था बादलों को गालों पर? सिलता काजल, खिलता सिंदूर झंझरी ओढ़नी से छनता नूर काफल सी दंत-कथाएँ बाँचती रात रती की व्यथाएँ। आ चलें उन बादलों पे एक बार फ़िर। चाँदनी में नहाने को एक बार...
कविता, जीवन

ए कुंभकर्ण! 

ए कुंभकर्ण चल उठ। आँखे खोल देख उधर श्मशान मैदान में कुम्भ मेला लगा है! मेले में कोरोना आया है। कफ़न अर्थी खेल खिलौने लाया है! ए कुंभकर्ण चल उठ कुम्भ मेला लगा है!
कविता, राजनीति

फ़कीर है वो? 

बढ़ी दाड़ी, उजड़े बाल एक फ़कीर है वो कोई राजा नहीं चल बैठा है झोला उठाकर।। जलते मास की सुगंध है हवाओं में। आज श्मशान रौशन है चिताओं की कमी नहीं।। फ़कीर नहीं, साधक है वो चला है वो शव-साधना को। छप्पन इंच की छाती...
कविता, स्त्री

कोई जा कर कह दो बीबी से मेरी 

कोई जा कर कह दो बीबी से मेरी, रज़ाई में कुछ उल्टा सीधा नहीं होता। चंदे की छपाई, गिलाफ़ की रंगाई, वो दोनों तरफ़ से बराबर गर्म होती है।। वो दोनों तरफ़ से बराबर पानी सोखता है, बराबर तन ढकता है। तौलिये के सीवन में,...
कविता

विश्व गुरु 

विश्व गुरु का स्वप्न संजोए पक्षीराज बन बैठा है। विष्णु वाहन बनते बनते शव वाहन बन ऐंठा है।। क्या कहा? मानव शव? कद्रु पुत्र का खेला पात्र। चुन चुन कर मुक्त किया पक्षीराज पुराण पढ़ो मात्र।।
धर्म - कर्म

क्या जय हनुमान बोलने से कोरोना भाग जाएगा? 

पिछले कई दिनों से इंटरनेट पे एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ औरतें एक कोविड मरीज़ का ऑक्सीजन मास्क हटा कर, उस तड़पते हुए मरीज़ के हाथ-पाँव पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से “जय हनुमान” पढ़ रही हैं। वे डॉक्टर की हिदायत की भी अवहेलना कर...
राजनीति

लूण-लोटा वाली घटिया राजनीति 

विश्वास नहीं होता कि आज का पढ़ा लिखा नवयुवक, बीसवीं शताब्दी की कुंठित, दबाव वाली – “लूण-लोटा” वाली घटिया राजनीति खेलते हैं। ऐसी राजनीति से बचें। ये राजनीति, भारत के संविधान द्वारा दिए गए मेरे “गुप्त मतदान” के अधिकार के खिलाफ़ है। मुझे दुःख होता...