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Author: Dhaleta Surender Kumar

सामान्य विचार

कोरोना काल में थूकने की आदत – २ 

“तुम्हें क्या तकलीफ है?” ये जवाब था एक युवक का जो शायद 26-28 साल से ज़्यादा उम्र का है। ये नौजवान संजौली चौक पे थूकता हुआ पाया गया और इसका ये जवाब मेरे टोकने पर था: “पब्लिक में क्यूँ थूक रहे ह “मुझे क्या तकलीफ...
संस्कृति, सामान्य विचार

कोरोना काल में मातम-पुर्शी – २ 

तो आते हैं मेरी परसों वाली मातम-पुर्शी की कहानी पर। एक दिन कहीं मातम में जाने का बुलावा आ गया। गाँव वालों ने मिलकर एक Trax बुक कर ली। जब मैं गाड़ी के पास पहुँचा तो देखा गाँव के काफी बुज़ुर्ग भी मातम में जाने...
सामान्य विचार

कोरोना काल में मातम-पुर्शी – १ 

हमारे गाँव में (शायद पूरे ऊपरी शिमला में) रिवाज़ है कि जब किसी व्यक्ति की रिश्तेदारी में कोई मृत्यु होती है तो वह व्यक्ती अपने पूरे गाँव वालों को बोलता है कि उन्हें उस व्यक्ती के परिवार के साथ शोक व्यक्त करने उस गाँव चलना...
व्यंग्य, सामान्य विचार

कोरोना काल में थूकने की आदत – १ 

छैला (ठियोग) में मैंने 3-4 दिन पहले एक खाड़ू को डाँटा: भाई, पब्लिक में क्यूँ थूक रहा है? इतनी महामारी फैल रही है। मुझे आँखें दिखाता हुए बोला: चल चल आगे बढ़। सारी दुनिया थूक रही है, मेरे थूकने से बड़ा फैलेगा कोरोना। मैं डरा...
General Thoughts

Dilli Police 

I remember, as a kid, there used to be this TVC: Dilli Police, Dilli Police… Why did DP require a communication initiative? To bridge the trust gap and change its imagery. But seems nothing has changed. Still, people don’t trust the police. Still, parents tell...
जीवन

ज़िन्दा है निराला जी की पत्थर तोड़ने वाली औरत 

निराला जी की पत्थर तोड़ने वाली औरत को आज घर जाना नसीब हुआ है। वो कई सौ किलोमीटर का सफ़र पैदल चलना चाहती है। सरकार ने उसके लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन लगाई है। परन्तु उसे पैदल चलना अधिक पसन्द है। जिन राजमार्गों पर उसने रेत,...
कविता

मैंने भी जलाये थे दिये 

मैंने भी जलाये थे दिये ये सोच कर — रौशन कर दूँगा पथ वैतर्णी तक। 109 आत्माओं का रास्ता सुगम कर इस लोक से परलोक तक।। क्या पता था मुझे शोक नहीं जश्न मनाना था। समर गीत नहीं डिस्को बजाना था।। मैंने भी जलाये थे...