ए कुंभकर्ण!
ए कुंभकर्ण चल उठ। आँखे खोल देख उधर श्मशान मैदान में कुम्भ मेला लगा है! मेले में कोरोना आया है। कफ़न अर्थी खेल खिलौने लाया है! ए कुंभकर्ण चल उठ कुम्भ मेला लगा है!
फ़कीर है वो?
बढ़ी दाड़ी, उजड़े बाल एक फ़कीर है वो कोई राजा नहीं चल बैठा है झोला उठाकर।। जलते मास की सुगंध है हवाओं में। आज श्मशान रौशन है चिताओं की कमी नहीं।। फ़कीर नहीं, साधक है वो चला है वो शव-साधना को। छप्पन इंच की छाती...
Dear tourists, Himachal is not your garbage bin
Dear tourists visiting Shimla and other parts of Himachal, There is resentment among the local folks against you. Except the tourism and the transport industry, few people want you in the state. Why has the Atithi Devo Bhava sentiment changed? Probably, because, you don’t behave...
कोई जा कर कह दो बीबी से मेरी
कोई जा कर कह दो बीबी से मेरी, रज़ाई में कुछ उल्टा सीधा नहीं होता। चंदे की छपाई, गिलाफ़ की रंगाई, वो दोनों तरफ़ से बराबर गर्म होती है।। वो दोनों तरफ़ से बराबर पानी सोखता है, बराबर तन ढकता है। तौलिये के सीवन में,...
Why is Himachali cuisine not getting its due sunshine?
It has the exotic ingredients and the exquisite taste, it has the varied tang, and has the perfect blend of the royal essence and the rustic touch and the simplicity of the mountains, and still it remains relegated to the nooks and corners of Himachal only. I...
Yoga Day: Why this antagonism
So I read this article on HT: “Five reasons why I didn’t participate in the Yoga Day celebrations“. This cacophony reminds me of a line I read in some book long time back. The book may not that be great, but the line certainly is....
विश्व गुरु
विश्व गुरु का स्वप्न संजोए पक्षीराज बन बैठा है। विष्णु वाहन बनते बनते शव वाहन बन ऐंठा है।। क्या कहा? मानव शव? कद्रु पुत्र का खेला पात्र। चुन चुन कर मुक्त किया पक्षीराज पुराण पढ़ो मात्र।।
क्या जय हनुमान बोलने से कोरोना भाग जाएगा?
पिछले कई दिनों से इंटरनेट पे एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ औरतें एक कोविड मरीज़ का ऑक्सीजन मास्क हटा कर, उस तड़पते हुए मरीज़ के हाथ-पाँव पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से “जय हनुमान” पढ़ रही हैं। वे डॉक्टर की हिदायत की भी अवहेलना कर...
लूण-लोटा वाली घटिया राजनीति
विश्वास नहीं होता कि आज का पढ़ा लिखा नवयुवक, बीसवीं शताब्दी की कुंठित, दबाव वाली – “लूण-लोटा” वाली घटिया राजनीति खेलते हैं। ऐसी राजनीति से बचें। ये राजनीति, भारत के संविधान द्वारा दिए गए मेरे “गुप्त मतदान” के अधिकार के खिलाफ़ है। मुझे दुःख होता...
कोरोना काल में थूकने की आदत – २
“तुम्हें क्या तकलीफ है?” ये जवाब था एक युवक का जो शायद 26-28 साल से ज़्यादा उम्र का है। ये नौजवान संजौली चौक पे थूकता हुआ पाया गया और इसका ये जवाब मेरे टोकने पर था: “पब्लिक में क्यूँ थूक रहे ह “मुझे क्या तकलीफ...
कोरोना काल में मातम-पुर्शी – २
तो आते हैं मेरी परसों वाली मातम-पुर्शी की कहानी पर। एक दिन कहीं मातम में जाने का बुलावा आ गया। गाँव वालों ने मिलकर एक Trax बुक कर ली। जब मैं गाड़ी के पास पहुँचा तो देखा गाँव के काफी बुज़ुर्ग भी मातम में जाने...
कोरोना काल में मातम-पुर्शी – १
हमारे गाँव में (शायद पूरे ऊपरी शिमला में) रिवाज़ है कि जब किसी व्यक्ति की रिश्तेदारी में कोई मृत्यु होती है तो वह व्यक्ती अपने पूरे गाँव वालों को बोलता है कि उन्हें उस व्यक्ती के परिवार के साथ शोक व्यक्त करने उस गाँव चलना...
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